Wednesday, January 28, 2009

लोकतंत्र


राजस्थानी भाषा के कवि ओम पुरोहित कागद की कविताओं में से एक ॥
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रामलाल
तू गाय जैसा आदमी है
तो घास खा
हम बापडे
शेर जैसे आदमी हैं
मांस खाएँगे तेरा
देखना
लोकतंत्र में कोई भूखा न रहे

Monday, January 26, 2009

आज के नाम



बाबा उन से कह दो जो सीमा की रक्षा करते हैं
प्रजा तुम्हारी दीन दुखी है रक्षा किसकी करते हो ?
मेरी याद की पहली कविताओं में से एक ये कविता है ,३ साल की उम्र में लगभग । कुछ बडी हुई तो अक्सर सुना देशभक्ति का अर्थ फोज में शामिल हो जाना है ।हर किशोर फोज में जाना चहता दिखा । फिर पाश की एक कविता पढ़ी - मेरे देश का अर्थ किसी राजा के नाम से सम्बंधित नही
मेरे देश का अर्थ खेतों में शामिल है ।
गाँव देखे , फोजे देखि और देखा देश भी ।
(१)
लकीर खींची गई
ज़मीन बांटी गई
लकीर के इस पार की ज़मीन का
नाम रखा गया वतन
कांटो की बाढ़ से उसे घेरा गया
क्यूंकि वतन एक फलदार पेढ़ है
उसे बाहरी जानवरों से खतरा है
इसलिए लकीर पर खड़े किए गये बिजूका
बिजूकों को दिए गये तमगे
तमगे यानी वीर मर्द होने का पक्का प्रमाण
वतन से प्रेम साबित करना हो तो
होना पड़ता है वीर
वीर वही है जिसके पास है तमगा
कविता लिख लेने
फूल उगा लेने से
घर बसाय रखने से
नही होती वतन परस्ती
उसके लिए तो बारूद भरे गोले दागने होते हैं
खून बहाना होता है
तब जाके मिलता है तमगा
जो सोने का है
और सोना मंहगा होता है
इसलिए अब अधिक से अधिक इंसान बनना चहते है बिजूके
ताकि कहलाये वीर
फलदायक पेढ़ के लिए क्या क्या करना होता है
ये पढ़ जाने कब किसे फल दे जाता है
हमे तो यंहा चलने को भी
टैक्स देना होता है
२ गज ज़मीन भी खरीद के लेनी होती है
तो वतन माने ?
वतन माने
लम्बी -चौडी ज़मीन
जिसमे पहाड़ हों
पहाड़ फोज के छीप कर गोलाबारी करने के काम आते हैं
कभी कभी घुमने के भी
पानी हो
जिसके बहाने महंगे डैम बनाये जासके
डेमो के बहाने बने पैसा
कभी कंही कैसा पीने को भी मिल जाता है पानी
लेकिन खरीद कर
मिटटी हो
आए काम कसम खाने के
क्यूंकि खेती करने वालो को तो आत्महत्या ही करनी पड़ती है
तो वतन का अर्थ
एक ज़मीन
लम्बी -चौडी
जिसमे ढेरो लोग हो
जिनसे वसूला जा सके टैक्स
जिनपर किया जासके राज
राज ?
जी राज !राजा भी
जो लाल किले से पुराने नही
बडे लाल महल में रहता है
राजधानी के केंद में है उसका महल
राजा दरअसल बरसो से वाही है
जो टैक्स लेता है
फोज पालता है
हाथी पर चलता है
महल में रहता है
हमे बहकाने को
अदला बदली का खेल भी खेलता है
राजा दरअसल वही है
ज़मीन का मालिक
जमीन जिसका नाम वतन है।
लकीर के उस पार भी ज़मीन का ऐसा ही टुकडा है
उसका भी ऐसा ही रजा है
ऐसे ही हैं बिजुका भी
और सबसे जरुरी चीज
प्रजा भी है
ऐसी ही ।

Tuesday, January 20, 2009

गीत हमेशा गाये जायेगे


ब्रेख्त की एक कवीता -

क्या अंधेरे समय में भी

गीत गाये जायेंगे ?

हाँ !

अंधेरे समय में अंधेरे के बारे में गीत गाये जायेंगे

Monday, January 12, 2009

तो चले फिर !

कविता
बहुत साल
तुम नहीं मिली मुझे
हम दोनों ही एक दूसरे को नहीं मिले
कितनी ही उनीदी रातों में
कभी न बंद होने वाली आँखे लिए
बोझिल नींद के बेचैन सपनो में
हर करवट के साथ
मैंने ढूंढा तुम्हे
उदास शामों में
पुराने कागजों के बहाने
बेइन्तिहाँ टटोले
बीते दिन
तुम्हारे निशाँ ही मिले बस
तुम नहीं
मैं बार बार तुम्हे ढूंढती रही
आख़िर एक सुबह
एक परिंदे से
तुम्हारा पता मिला
यूँ बंद कमरे के
रूखे दरवाज़े
गर्म बिस्तर पर
तुम मिलने नहीं आती
तुम्हे मिलने को तो
चाँद वाली रातों में
पहाडो पर टहलना होता है
तुम्हारे साथ रहने को तो
सूरज के जागने से पहले ही जगे
परिंदों के साथ
पहाड़ से पहाड़ उड़ना होता है
तुम बेहद घुम्क्कर निकली कविता

Saturday, January 10, 2009

शान्ति और चुप्पी दो अलग चीजे हैं .


शान्ति का रास्ता सबसे हलचल भरा होगा ,
शान्ति के रास्ते सबसे बेचैन कदम चलेंगे ,
शान्ति वे लायेंगे जिनकी आवाज़ बुलंद और नीयत साफगो होगी
शान्ति का अर्थ चुप रहना नही ,ये दो अलग चीजे हैं

इन्तीफादा


इन्तीफादा .........फिलिपींस के उन बच्चो के नाम जो विशाल टेंकों के आगे अपनी गुलेले ले खड़े हो गये,
इन्तीफादा .........उन फिलिस्तानी बच्चो को जिन्होंने टेंकों पर पत्थर बरसाए
क्रान्ति का फिलिस्तानी संबोधन इन्तीफादा ।