बाबा उन से कह दो जो सीमा की रक्षा करते हैं
प्रजा तुम्हारी दीन दुखी है रक्षा किसकी करते हो ?
मेरी याद की पहली कविताओं में से एक ये कविता है ,३ साल की उम्र में लगभग । कुछ बडी हुई तो अक्सर सुना देशभक्ति का अर्थ फोज में शामिल हो जाना है ।हर किशोर फोज में जाना चहता दिखा । फिर पाश की एक कविता पढ़ी - मेरे देश का अर्थ किसी राजा के नाम से सम्बंधित नही
मेरे देश का अर्थ खेतों में शामिल है ।
गाँव देखे , फोजे देखि और देखा देश भी ।
(१)
लकीर खींची गई
ज़मीन बांटी गई
लकीर के इस पार की ज़मीन का
नाम रखा गया वतन
कांटो की बाढ़ से उसे घेरा गया
क्यूंकि वतन एक फलदार पेढ़ है
उसे बाहरी जानवरों से खतरा है
इसलिए लकीर पर खड़े किए गये बिजूका
बिजूकों को दिए गये तमगे
तमगे यानी वीर मर्द होने का पक्का प्रमाण
वतन से प्रेम साबित करना हो तो
होना पड़ता है वीर
वीर वही है जिसके पास है तमगा
कविता लिख लेने
फूल उगा लेने से
घर बसाय रखने से
नही होती वतन परस्ती
उसके लिए तो बारूद भरे गोले दागने होते हैं
खून बहाना होता है
तब जाके मिलता है तमगा
जो सोने का है
और सोना मंहगा होता है
इसलिए अब अधिक से अधिक इंसान बनना चहते है बिजूके
ताकि कहलाये वीर
फलदायक पेढ़ के लिए क्या क्या करना होता है
ये पढ़ जाने कब किसे फल दे जाता है
हमे तो यंहा चलने को भी
टैक्स देना होता है
२ गज ज़मीन भी खरीद के लेनी होती है
तो वतन माने ?
वतन माने
लम्बी -चौडी ज़मीन
जिसमे पहाड़ हों
पहाड़ फोज के छीप कर गोलाबारी करने के काम आते हैं
कभी कभी घुमने के भी
पानी हो
जिसके बहाने महंगे डैम बनाये जासके
डेमो के बहाने बने पैसा
कभी कंही कैसा पीने को भी मिल जाता है पानी
लेकिन खरीद कर
मिटटी हो
आए काम कसम खाने के
क्यूंकि खेती करने वालो को तो आत्महत्या ही करनी पड़ती है
तो वतन का अर्थ
एक ज़मीन
लम्बी -चौडी
जिसमे ढेरो लोग हो
जिनसे वसूला जा सके टैक्स
जिनपर किया जासके राज
राज ?
जी राज !राजा भी
जो लाल किले से पुराने नही
बडे लाल महल में रहता है
राजधानी के केंद में है उसका महल
राजा दरअसल बरसो से वाही है
जो टैक्स लेता है
फोज पालता है
हाथी पर चलता है
महल में रहता है
हमे बहकाने को
अदला बदली का खेल भी खेलता है
राजा दरअसल वही है
ज़मीन का मालिक
जमीन जिसका नाम वतन है।
लकीर के उस पार भी ज़मीन का ऐसा ही टुकडा है
उसका भी ऐसा ही रजा है
ऐसे ही हैं बिजुका भी
और सबसे जरुरी चीज
प्रजा भी है
ऐसी ही ।